जागो फिर एक बार। भारत की सुन पुकार।। कितना तुम सोते हो। बाद में फिर रोते हो। अमृत की चाह रखे, बीज विष के बोते हैं।। जागे हो सोये से, जागोगे किस प्रकार। जागो फिर एक बार, भारत की सुन पुकार।। हमको कुछ कहना है। मौसम बदलना है। जग बदले, से पहिले। खुद ही सुधऱना है। मन में जो ठान लोगे निश्चित होगा सुधार। जागो फिर एक बार। भारत की सुन पुकार।। जाति प्रथायें हैं। क्यों हम अपनायें हैं। जाति प्रथा को हम, तोड़ने का आये हैं। आओ सब एक जुट, इसका करें संहार। जागो फिर एक बार। भारत की सुन पुकार।। नेता सब झूठे हैं। जनता को लूटे हैं। अपराधी जीतते हैं, हम सबमें फूटें हैं। इनको हरायेंगे, मिट जाये भ्रष्टाचार। जागो फिर एक बार। भारत की सुन पुकार।। हमको बहकाते हैं। सत्ता को पाते हैं। कल तक हजार पति, लाखों कमाते हैं। नेता ये सारे जो, देश पर बने हैं भार। जागो फिर एक बार। भारत की सुन पुकार।। बदलें व्यवस्था को। न्याय यहाँ सस्ता हो। आखिरी जो पंक्ति में, हंसता वो दिखता हो। भारत ये जननी पर, कीजियेगा उपकार। जागो फिर एक बार। भारत की सुन पुकार।। आओ विचार करें। इसका उपचार करें। आयेगा कोई और, व्यर्थ इंतजार करें। होकर के एक करें, भारत का उद्धार। जागो फिर एक बार। जननी की सुन पुकार।।
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