samajik kranti
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बता तूँ ये खुदा मुझको, ये कैसा जग बनाता है?
किसी का घऱ ये जलता है, दिवाली कुई मनाता है?
किसी के तन फटा कपड़ा, बड़ी मुश्किल से मिलता है,
मगर कुई कीमती कपड़ा, मजारों पर चढ़ाता है?
किसी को रोटियाँ भी तो, बड़ी मुश्किल से मिलती हैं,
मगर कुत्ता अमीरों का, ये बिस्कुट दूध खाता है?
कहीं पर बूँद पानी की, नहीं देती दिखाई है,
किसी के हिस्से में लेकिन, स्विंगपुल एक आता है?
कुई फुटपाथ पर अपने, ये जीवन को बिता देता,
कुई AC के कमरे में, ये कुत्तों को सुलाता है?
किसी को छींक आती है, हजारों डॉक्टर आते,
मगर डक्टर न गाँवों में, हमारे एक आता है?
करोड़ों जो डकारे हैं, बने सांसद विधायक वह,
चुराई भूख से रोटी, भिखारी जेल पाता है?
मरा कुई साजिशों से है, कहीं चर्चा नहीं होती,
मरा कुत्ता विधायक का, खबर TV पे आता है?
(स्वदेशी आन्दोलन के संचालक श्री राजीव दीक्षित की संदेहात्मक मुत्यु पर न कोई चर्चा, न कोई खबर?)
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