samajik kranti
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एक प्रेमिका अपने शराबी प्रेमी से शराब पीने का कारण पूछती है, प्रेमी अपने कुतर्कों से उसे निरुत्तर कर देता है।
नही पियूँगा कल से मदिरा, किया था तुमने वादा।
इक दिन में ही पी ली ज्यादा, कैसे तोड़ा वादा।।
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…….प्रेमी—रखा हुआ था जाम मेज पर, भरी थी उसमें मदिरा।
मुस्काता सा दिखा था उसमें, मुझको तेरा चेहरा।।
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मैंने तुझको छूने के मिस, उसमें हाथ लगाया।
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इस कारण से ही तो मैंने, भरा वो जाम उठाया।।
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तुझे चूमने की जागी थी, दिल में मेरे चाहत।
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उसे उठा के लगा में पीने, पड़ गई मेरी आदत।।
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भरा जाम होता, तूँ आती, क्यों जाम जाम के अंदर?
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पीता हूँ मैं तेरे कारण, कई जामों को भर कर।।
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