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नये वर्ष के नये दिवस पर

samajik kranti
samajik kranti
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नये वर्ष के नये दिवस पर, आप सभी का है अभिनन्दन।
भ्रष्टाचार मिटायें बिन न, भारत में न आये सुशासन।।
हम जागे तो भारत जागे, और संगठित होना आगे।
लोकपाल मजबूत हमें दो, और नहीं कुछ ज्यादा माँगे।।
जनता को बेवकूफ बनाकर,थमा रहे हो केवल झुनझुन।
नये वर्ष के नये दिवस पर, आप सभी का है अभिनन्दन।।
जागे हम अब नींद थी गहरी,शायद प्रातः हुई सुनहरी।
इस संसद को हमें बदलना,क्योंकि अब यह गूँगी बहरी।।
समझे कीमत अपने मत की,मतदाताओं का हो जागरण।
नये वर्ष के नये…………………………………………………..
अन्ना जी ने हमें जगाया,स्वप्न सुनहरा एक दिखाया।
जागरूक रहना है हमको,कुचल न जाये यह आन्दोलन।।
नये वर्ष के नये………………………………………………….
अब तुम कैसे भी बहलो ,जीत के दोबारा दिखला लो।
जब्त तुम्हारी होय जमानत,जितना चाहे जोर लगालो।।
दारू मुर्गा नहीं चलेगा, खर्च करो चाहे जितना धन।
नये वर्ष के नये………………………………………………….
कितनी जोड़ी दौलत काली, कितनी तुमने खाई दलाली।
कितना तुमने लिया कमीशन,जनता सबक सिखाने वाली।।
इस चुनाव में इन्हें हराकर, वापस लाना वह काला धन।
नये वर्ष के नये………………………………………………….
जिसने इनकी पोलें खोली, उसको मरवा देते गोली।
यह अनाज खा गये दवाई,पशुओं की भी घास न छोड़ी।।
भ्रष्टाचारी हैं जो नेता, लोकपाल की वह हैं अड़चन।
नये वर्ष के नये………………………………………………
रात को जो देता था पहरा, दिन को निकला वही लुटेरा।
इन्हें न संसद जाने देंगे, नेताओँ का करके घेरा।।
इनकी जगह नहीं संसद में,जेल में भेजे पकड़के गरदन।
नये वर्ष के नये………………………………………………..
अब तो जनता सचमुच जग ली,कुछ सांसद संसद में कतली।
यही गिरायें संसद गरिमा, जगह जेल में इनकी असली।।
गलत तरीकों से जीतें जो , रद्द होय उनका निर्वाचन।
नये वर्ष के नये…………………………………………………..
जिन्हें बोलने की न सभ्यता,संसद की हो नष्ट भव्यता।
ऐसे लोग यदि संसद में, लोकतंत्र की हुई विफलता।।
चुनों न ऐसों को जो करते, हैं फूहड़ता का प्रतिपादन।
नये वर्ष के नये…………………………………………………..
लूट रहा जो खुल्लम-खल्ला,कहीं न होता उसका हल्ला।
आज सांसद बन बैठा वह, कभी था दादा एक मुहल्ला।।
ऐसों को न जीतने देना , जनता से मेरा आवाहन।
नये वर्ष के नये…………………………………………………
जनता को जो माने नीचा, और स्वयं को माने ऊँचा।
अबकी बार वोट से संसद, ऐसों को न देना पहुँचा।।
तुमने लूटा बहुत देश को,अब खाली कर दो सिंहीसन।
नये वर्ष के नये……………………………………………..
जो समाज का सच्चा सेवक, उसे ही पहुँचाना है संसद।
राजनीति है जिनका धन्धा,सिर्फ कमाना दौलत मकसद।।
अच्छे लोगों का स्वागत हो, करें बुरों का हम निष्कासन।
नये वर्ष के नये दिवस………………………………………
भारत का कितना धन बाहर, बात न हो संसद के अन्दर।
वह काला धन नेताओं का,फिर शक क्यों न हो इन सबपर।।
इस चुनाव में इन्हें हराकर, वापस लाना वह काला धन।
नये वर्ष के नये…………………………………………………..
वादे बड़े बड़े हैं करते , जीत के नेता सभी मुकरते।
जनता की परवाह नहीं कुछ,सिर्फ तिजोरी अपनी भरते।।
लिखित में लेंगे सारे वादे,झूठे थे अब तक आश्वासन।
नये वर्ष के नये…………………………………………………..
नेता होते अवसर वादी , गुण्डों से है संसद आधी।
जनता को हक नहीं मिला है,केवल संसद को आजादी।।
संसद है जनता के हित को,बनी आज नेता सुख-साधन।
नये वर्ष के नये………………………………………………….
भारत में जो जाति-प्रथा है,मुझको तो यह लगे वृथा है।
ऐसा धर्म ग्रन्थ क्यों मानें, झूठी लगती मनु कथा है।।
आगे आकर बुद्धिजीवियो,करिये जाति-प्रथा का भंजन।
नये वर्ष के नये…………………………………………………..
आओ छोड़ो धर्म के झगड़े,एक बने हम अगड़े पिछड़े।
आओ भूलें बात पुरानी, चलों सुधारें रिश्ते बिगड़े।।
धर्म जाति में हमे न पढ़ना,चाहे जितना करें निवेदन।
नये वर्ष के नये………………………………………………..
जन्म से कोई नहीं बड़ा हो,धर्म का न कोई नियम कड़ा हो।
जात-पात यह हम न मानें,धर्म का यह जो नियम कड़ा हो।।
धर्म छोड़ने की आजादी, क्यों न तोड़े जाति का बंधन।
नये वर्ष के नये……………………………………………………
देख रहा हूँ मैं इक सपना, क्यों न एक धर्म हो अपना।
पूजा केवल मानवता की,कई नामों को व्यर्थ है जपना।।
धर्म से न पहचानें जायें, सिर्फ भारतीयता की हो धुन।
नये वर्ष के नये………………………………………………..
मृत्यु-भोज है बड़ी बुराई,क्यों न अब तक समझ में आई।
आओ मिलकर इसे मिटायें, मैंने तो सौंगंध है खाई।।
कई बुराईयाँ औ कुरीतियाँ, आओ हम सब करें विवेचन।
नये वर्ष के नये…………………………………………………
बहू को बेटी क्यों न मानें , बेटी को बेटे सा जानें।
गैर नारि पर दृष्टि वैसी, जैसा रूप देखते माँ में।।
नारी को अपने सा समझो, अब न हो नारी उत्पीड़न।
नये वर्ष के नये दिवस पर,आप सभी का है अभिनन्दन।।

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