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तुलसी ने चौपाइ बनाई।
ईश्वर की महिमा बतलाई।
ईश्वर क्या है यह बतलाया।
और बताई उसकी माया।
बिनु पग चले सुने बिनु काना।
बिनु कर करे कर्म विधि नाना।
बिनु आनन…………………………
मैंने इसका अर्थ लगाया।
पैसों में है ईश्वर पाया।
ईश्वर में गुण कैसे कैसे।
पैसों में गुण मिलते वैसे।
जो ताकत ईश्वर की भक्ति।
उस जैसी धन में है शक्ति।
जो ईश्वर भी न कर पाये।
वह सब पैसों से हो जाये।
पैसा है तो कुछ भी पा लो।
चाहे जिसको सगा बना लो।
पैसों से हर ख्वाइस पूरी।
होती हर फरमाइस पूरी।
चाहो धन से प्यार खरीदो।
वोट और सरकार खरीदो.
पैसो से कातिल संसद में।
बिन पैसों के मानव हद में।
धन की नहीं कोई भी सीमा।
पैसे हैं तो कोइ कमी ना।
कौन कहे भगवान बड़ा है।
ईश्वर से धनवान बड़ा है।
धन से कातिल को हो माफी।
बेगुनाह को धन बिन फाँसी।
पैसे हैं तो इज्जत मिलती।
निर्धन की बस इज्जत लुटती।
सभी जगह पर इसका शासन।
मुश्किल जीना है इसके बिन।
इसकी पूजा होती घर-घर।
कौन न माने इसको ईश्वर।
टका,पोण्ड ओ रुपया डालर।
कितने नाम धरे यह ईश्वर।
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